Climate change:- जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? जलवायु-परिवर्तन के प्रभाव का उल्लेख करते हुए इससे निपटने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा कीजिए।
संदर्भ:- वर्ष 2100 तक भारत समेत अमेरिका ,कनाडा, न्यूजीलैंड, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी देशों की अर्थव्यवस्थाए जलवायु-परिवर्तन के असर से अछूती नहीं रहेगी। अमूमन 1 सितंबर से मानसून का लौटना शुरू हो जाता है, लेकिन इस साल मानसून की विदाई करीब 45 दिन देरी से हुई। पिछले करीब 60 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मानसून के लौटने में इतनी देरी हुई है। मानसून खत्म होने के तय तारीख के 2 हफ्ते बाद तक देश के कई हिस्सों में इतनी बारिश हुई जितनी आमतौर पर जुलाई-अगस्त के महीनों में भी नहीं हुआ करती थी।
हाल ही में जलवायु-परिवर्तन पर संयुक्त-राष्ट्र फ्रेमवर्क के प्रभाव से निपटने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए गए।
क्या है जलवायु-परिवर्तन (Climate Change):-
क्या है जलवायु-परिवर्तन:-
पिछली कुछ सदियों में हमारी जलवायु में धीरे-धीरे परिवर्तन देखा जा रहा है। पृथ्वी का औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस है, हालांकि तापमान का बहुत ज्यादा होना या कम होना कोई पहली बार की घटना नहीं है। लेकिन अब पिछले कुछ सालों में जलवायु में अचानक तेजी से बदलाव हो रहा है।
सामान्यतः जलवायु का आशय किसी दिए गए क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है। अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो जलवायु- परिवर्तन (Climate change)कहते हैं।
पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी का तापमान बीते वर्षो में 1 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ गया है। पृथ्वी के तापमान में परिवर्तन संख्या की दृष्टि से काफी कम हो सकता है, परंतु इस प्रकार के किसी भी परिवर्तन का मानव- जाति पर बड़ा असर हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण:-(Cause of Climate Change)
जलवायु- परिवर्तन के कारणों का बेहतर विश्लेषण करने के लिए इसे दो भागों में विभाजित कर सकते हैं।
(1)प्राकृतिक गतिविधियाँ (2)मानवीय गतिविधियाँ
जलवायु परिवर्तन से प्रभाव (Impact of climate change):-
वर्षा पर प्रभाव (Impact on Rainfall):-
जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया मानसूनी क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि होगी जिससे बाढ़,भूस्खलन तथा भूमि-अपरदन जैसी समस्याएं पैदा होंगी।
जहां तक भारत का प्रश्न है, मध्य तथा उत्तरी-भारत में कम वर्षा और वर्षा होगी जबकि इसके विपरीत,देश के पूर्वोत्तर तथा दक्षिण-पश्चिमी राज्यों में अधिक वर्षा होगी।
समुद्री जल स्तर पर प्रभाव (Impact on sea water level):-
परिवर्तन के फल-स्वरुप ग्लेशियरों के पिघलने के कारण विश्व का औसत समुद्री जलस्तर इक्कीसवी शताब्दी के अंत तक 9 से 88 सेमी तक बढ़ने की संभावना है, जिससे दुनिया की आधी से अधिक आबादी जो समुंद्र से 60 किमी की दूरी पर रहती है, पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। समुंद्र का जलस्तर बढ़ने से मीठे जल के स्त्रोत
दूषित होंगे, परिणाम स्वरूप पीने के पानी की समस्या होगी।
कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture):-
जलवायु-परिवर्तन का प्रभाव कृषि-पैदावार पर पड़ेगा। संयुक्त राज्य अमेरिका में फसलों की उत्पादकता में कमी आएगी जबकि दूसरी तरफ उत्तरी तथा पूर्वी अफ्रीका, मध्य पूर्व देशों, भारत, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा मेक्सिको में गर्मी तथा मम्मी के कारण फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना:-
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का शुभारंभ वर्ष 2008 में किया गया था। इसका उद्देश्य जनता के प्रतिनिधियों सरकार की विभिन्न एजेंसियों,वैज्ञानिकों ,उद्योग और समुदायों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे और इस से मुकाबला करने के उपायों के बारे में जागरूक करना है। इस कार्य योजना में 8 मिशन शामिल है:-
जैव विविधता पर प्रभाव :-
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव जैव- विविधता पर भी पड़ेगा। किसी भी प्रजाति को अनुकूलन हेतु समय की आवशक्ता होती है। जलवायु – परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव समुन्द्र की तटीय छेत्रो में पायी जाने वाली दलदली छेत्र की वनस्पतियो पर पड़ेगा। जैव – विविधता छरण के परिणामस्वरूप परिस्थितियो असंतुलन का खतरा बढ़ेगा।
मानव – स्वास्ध्य पर प्रभाव (impact of climate change on human health):-
जलवायु – परिवर्तन का प्रभाव मानव स्वास्थय पर भी पड़ेगा। विश्व – संगढन की रिपोर्ट के अनुसार , जलवायु में वृद्धि होती। मानव स्वस्थ पर एक जलवायु – परिवर्तन के प्रभाव के चलते एक बढ़ी आबादी विस्थापित होगी जो ‘ पर्यावरदीय शरणार्थी ‘ कहलाएगी । इससे स्वास्थय सबन्दी और भी समस्याएं पैदा होगी।
जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वैशिवक प्रयास –
जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भारत के प्रयास (India’s efforts to deal with climate change):-
जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु वैशिवक प्रयास –
- राष्ट्रीय और मिशन
- विकसित ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन
- सुस्थिर निवास पर राष्ट्रीय मिशन
- राष्ट्रीय जल मिशन
- सुस्थिर हिमालय परिस्थितिक तंत्र हेतु राष्ट्रीय मिशन
- हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन
- सुस्थिर कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन
- जलवायु परिवर्तन हेतु रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन
अंतरराष्ट्रीय और गठबंधन:-
अंतरराष्ट्रीय और गठबंधन सौर ऊर्जा से संपन्न देशों का एक आधारित अंतर सरकारी संगठन( Treaty- Based International Intergovernmental Organization) है।
अंतरराष्ट्रीय और गठबंधन की शुरुआत भारत और फ्रांस ने 30 नवंबर , 2015 को पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान की थी।
भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways in india)
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