रोहित गुस्ताख़ की ग़ज़लें…
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Sahitya Manch : गौतम गोरखपुरी की ग़ज़लें ग़ज़ल_1कोई भी नहीं है हमारा सिवा इन किताबों केमेरी ज़िन्दगी का सहारा सिवा ...
Sahitya Manch : तुम्हारे बाद…मंगलेश हर्ष तुम्हारे बाद… तुम्हारे बाद मैंने सबसे ज्यादा वक्त खुद को दियातुम्हारे बाद मैंने सबसे ...