रोहित गुस्ताख़ की ग़ज़लें…
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Sahitya Manch ---- साहित्य मंच -: जितेंद्र तिवारी की ग़ज़लें ग़ज़ल_1 सब तय है कब आना है कब जाना हैया’नी ...