Sahitya Manch : तुम्हारे बाद…मंगलेश हर्ष
तुम्हारे बाद…
तुम्हारे बाद मैंने सबसे ज्यादा वक्त खुद को दिया
तुम्हारे बाद मैंने सबसे ज्यादा बातें खुद से की
तुम्हारे बाद मैं नहीं गया मयखाने की तरफ
मैंने अपने हाथों में नहीं उठायी कोई शराब की बोतल
मैंने सिगरेट के धुओं में नहीं तलाशी जिंदगी की कोई उम्मीद।
मैंने नहीं दी कोई गाली
मैं अपनी किस्मत को भी नहीं कोस रहा
तुम्हारे बाद मेरे पास हिम्मत नहीं बची
तुम्हारे बाद अब किसी के लिए भी
सब रास्ते बंद कर दिए गए हैं
तुम्हारे बाद अब फिर से आंखों में
उम्मीद तैराने की गलती नहीं कर रहा
तुम्हारे बाद तुम को खोकर
मैंने सिर्फ खुद को पाया है
मैंने खुद को बहुत समझाया है
तुम्हारे बाद मुझे इस बात की खुशी हुई कि
मैं किसी के लिए सच्चा तो हो सकता हूं
तुम्हारे बाद तुम्हें खोने का गम जरूर था
पर तुम्हें पाने की कोई उम्मीद नहीं बची अब
तुम्हारे बात तुम्हारे पीछे नहीं भागना था मुझे
तुम्हारे बाद में यह समझ पाया कि
गम और दुख का भी
अपना एक अलग आनंद होता है
तुम्हारे बाद तुम्हारा शुक्रिया अदा किया
कि मैं कहीं समर्पित तो हो सकता हूं
किसी से मोहब्बत कर तो सकता हूं
तुम्हारे बाद मेरा इरादा नहीं हुआ कभी मर जाने का
तुम्हारे बाद मेरी इच्छा बढ़ गई जीने की
यह तय कर लिया मुझे जीना है
और तुम्हारे बिना जीना है
क्योंकि मुझे पता है कि
यदि मैं तुम्हारे बिना जी सकता हूं तो…..
मैं दुनिया में कुछ भी कर सकता हूं..!
#मूव_ऑन
~ मंगलेश पाण्डेय ‘हर्ष’
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
उत्तर प्रदेश के मऊ (मधुबन)
मंगलेश पांडेय ‘हर्ष’ –परिचय
30 जुलाई 2001 को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मधुबन नामक एक छोटे से कस्बे में जन्मे इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। पिता का नाम श्री धनंजय पांडेय और माता का नाम डॉक्टर ममता पांडेय है। पिता अधिवक्ता हैं और माता शिक्षिका हैं! तमाम समसामयिक मुद्दे पर इनका अध्ययन और लेखन जारी रहता है।
संदीप राज़ आनंद
साहित्य संपादक
The Praman
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