साहित्य मंच
मेरा दिल करता है–
मेरा दिल करता है
उस पिता को गले लगाने को
जो अपने बच्चों के
सपनों को पूरा करने के लिए
अपने संघर्ष का बखान करते हुए
अकेले में रो पड़ता है!
मेरा दिल करता है
उस स्त्री को पकवान खिलाने को
जो पूरा दिन घर के काम करके
रात में दो रोटी कम खा पाती है
ताकि किसी और को कम न पड़े!
मेरा दिल करता है
उस लड़के को प्रोत्साहित करने को
जो कई बार सफलता के मुहाने पर
पहुंच कर वापस आ जाता है और
फिर भी हार नहीं मानता!
मेरा दिल करता है
उस मेहनतकश को गले लगाने को
जो भ्रष्ट और कुंठित व्यवस्था का
बुरी तरीके से शिकार हो गया है
और किस्मत को दोषी ठहराकर
अपने आप को हारा हुआ मान लिया !
मेरा दिल करता है
उस परिवार को गले लगाने को
जिसका बेटा सत्ता के खूनी खेल में
लहूलुहान हो लाश बन गया हो
जिसके अलावा उस परिवार में
कोई नहीं रहा जो आस बन सकें!
मेरा दिल करता है
उस किसान को गले लगाने को
जिसने खेती की और लागत भी
प्राप्त न कर सका हो ,
निराशा भरपूर हो और कर्ज से डूब
कुछ गलत कदम उठाने जा रहा हो
और मेरा दिल में भी कहता है
कि जब मैं तनाव में रहूं
कभी अकेले में रोने का दिल करें
जब चूक जाऊं कुछ पाने से
मेरे सामने अंधेरा छा गया हो
तो कोई हो
जो मुझे हिम्मत दे
मेरे आंसू पोंछे और
मुझे गले लगा कर बोले
कि घबराओ मत
सब ठीक हो जाएगा!
~ मंगलेश पाण्डेय ‘हर्ष’
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
उत्तर प्रदेश के मऊ (मधुबन)
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मंगलेश पांडेय ‘हर्ष’ –परिचय
30 जुलाई 2001 को उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के मधुबन नामक एक छोटे से कस्बे में जन्मे इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। पिता का नाम श्री धनंजय पांडेय और माता का नाम डॉक्टर ममता पांडेय है। पिता अधिवक्ता हैं और माता शिक्षिका हैं! तमाम समसामयिक मुद्दे पर इनका अध्ययन और लेखन जारी रहता है।