मॉब लिंचिंग क्या है – ( What is Mob lynching )
अभी हाल ही में इश्माइल नाम के व्यक्ति को एक समूह ने पीट-पीटकर मार डाला ,कुछ दिन पहले पालघर में दो साधुओ को एक व्यक्ति के साथ पीट पीटकर एक समूह द्वारा मार डाला गया। इस प्रकार की घटनाओ को मोब लिंचिं का नाम दिया गया है अर्थात जब किसी व्यक्ति को भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला जाता है, तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहलाती है।
Lynch शब्द की उत्पत्ति चार्ल्स लिंच नाम के एक वर्जीनिया प्लांटर के नाम पर हुई है, जो अमेरिकी क्रांति के दौरान एक अनियमित अदालत का नेतृत्व करता था, जिसका गठन वफादारों को दंडित करने के लिए किया गया था।
अगर कारण ढूढ़ा जाए तो इसका कई कारण सामने आता है, ,अधिकतम मामलो में, भेदभाव इस क्राइम के लिए उत्तरदायी है ‘ चाहे काले -गोरे का भेद हो या धार्मिक भेद-भाव लेकिन वही ये भी सामने आता है की भारत में गौ हत्या ,चोरी, छिनैती जैसे` मामलो में भीड़ का हिंसात्मक चेहरा सामने आता है। इन मामलो में व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
‘इंडिया स्पेंड’ के मुताबिक पिछले 8 सालों में 52% हमले अफवाहों पर आधारित हैं।
भारत में ऐसे मामलो का ज्यादा आने का सामने आता है।
कारण ( Reasons for Mob lynching )
* Mob lynching के खिलाफ कठोर क़ानून का न होना है –
भारत में अगर भीड़ ने किसी व्यक्ति को मार डाला, तो इसे हत्या नहीं कहा जाएगा। यदि कोई एक व्यक्ति किसी को मारता है, तो वह हत्या के लिए उत्तरदायी होगा, लेकिन यदि वही अपराध भीड़ द्वारा किया जाता है, तो लोगों को धारा 304 के तहत दोषी ठहराया जाता है। ऐसी स्थिति में, उनको या तो BAIL मिल जाती है या यदि पर्याप्त सबूत हैं, तो आप पर गैर इरादतन मानव वध का आरोप लगाया जाएगा, जो हत्या नहीं होगी, लेकिन उस व्यक्ति पर हत्या का आरोप नहीं लगाया जाएगा, जो कि अपराध की सटीक प्रकृति है
* 21% मामलों में, पुलिस ने पीड़ितों/जीवित लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए। (इंडिया स्पेंड रिपोर्ट)।
सोशल मीडिया का दुष्प्रयोग –
ऐसे मामलो में धार्मिक हिंसा और अन्य अफवाहों का तेजी से प्रसारित करना , जिसमें गाय मां के मारे जाने की खबरें थीं, बच्चों के अपहरण की अफवाहें भी फैलायी गयी और गोरक्षा लिंचिंग के मामले की तरह, यहां भी सामाजिक दरारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राजनितिक गतिविधिया –
गंदी राजनीति: मॉब लिंचिंग एक सामाजिक मुद्दा होने के साथ-साथ राजनीतिक भी है। संकीर्ण सोच वाले राजनीतिक फायदे के चलते कुछ नेताओ ने भारत की विविधता ( जाति, वर्ग और सांप्रदायिक नफरत) का गलत इस्तेमाल किया और एक-दूसरे के खिलाफ सभाएं कीं जिससे दो समूहों में द्वेष उत्पन्न होना भी एक कारण है।
मोब लिंचिंग के लिए
कारण
(What is the law for mob lynching)
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) निर्देश –राज्य सरकारें उन जिलों, उप-मंडलों और गांवों की तत्काल पहचान करेंगी जहां हाल के दिनों में लिंचिंग और भीड़ की हिंसा की घटनाएं हुई हैं।
- Nodal officers लिंचिंग और भीड़ हिंसा से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए किसी भी Inter-district समन्वय मुद्दे को डीजीपी को अपने संज्ञान में रखना होगा
- * प्रत्येक पुलिस अधिकारी का यह कर्तव्य होगा कि वह भीड़ को तितर-बितर करे, जो Mob Lynching के लिए उत्तर दायी हो , सतर्कता के वेश में अन्यथा हिंसा का कारण बनता है।
- केंद्र और राज्य सरकारों को रेडियो और टेलीविजन और आधिकारिक वेबसाइटों सहित अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित करना चाहिए कि लिंचिंग और भीड़ की हिंसा के गंभीर परिणाम होंगे।
- विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गैर-जिम्मेदार और विस्फोटक संदेशों, वीडियो और अन्य सामग्री के प्रसार को रोकना और रोकना। ऐसे संदेश प्रसारित करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत FIR दर्ज करें।
- सुनिश्चित करें कि पीड़ितों के परिवार के सदस्यों का और उत्पीड़न न हो।
- राज्य सरकारें लिंचिंग/भीड़ की हिंसा पीड़ित मुआवजा योजना तैयार करेंगी।
- भीड़ की हिंसा और लिंचिंग के मामलों में एक कड़ी मिसाल कायम करने के लिए, निचली अदालत को आम तौर पर आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम सजा देनी चाहिए।
- लिंचिंग और भीड़ की हिंसा के मामलों की सुनवाई विशेष रूप से प्रत्येक जिले में इस उद्देश्य के लिए निर्धारित अदालत/फास्ट ट्रैक अदालतों द्वारा की जाएगी। परीक्षण अधिमानतः छह महीने के भीतर समाप्त हो जाएगा।
- यदि यह पाया जाता है कि कोई पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहा है, तो इसे जानबूझकर लापरवाही का कार्य माना जाएगा।
रोकथाम –
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार Mob Lynching के खिलाफसभी राज्यों को बनाने चाहिए कठोर कानून परन्तु कुछ राज्यों को छोड़कर अभी तक किसी राज्य में कानून नहीं बन सका
- मणिपुर सरकार सबसे पहले 2018 में लिंचिंग के खिलाफ अपना बिल लेकर आई, जिसमें कुछ तार्किक और प्रासंगिक खंड शामिल थे।
- राजस्थान सरकार ने अगस्त 2019 में लिंचिंग के खिलाफ एक विधेयक पारित किया।
- पश्चिम बंगाल भी लिंचिंग के खिलाफ एक और सख्त विधेयक लेकर आया।
- कानून बनाते समय, केंद्र भीड़ को उकसाने के दोषी पाए गए राजनीतिक नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी कर सकता है ।
- पीड़ितों के लिए मुआवजा योजना के तहत, पीड़ितों को भुगतान की जाने वाली राशि अपराध के अपराधियों से वसूल की जानी चाहिए या उन ग्रामीणों पर सामूहिक जुर्माना लगाया जाना चाहिए जहां लिंचिंग होती है।