Top 10 moral stories in hindi
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Motivation stories + Moral Stories : story 1 . अपनी मदद आप
एक बार एक धनी व्यापारी व्यापार के उद्देश्य से पानी के जहाज द्वारा अपने शहर से दूसरे शहर जा रहा था। वह अपने साथ कीमती रत्न एवं सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक भी ले जा रहा था ।रास्ते में तूफान आ गया। जहाज इधर-उधर हिलोरें लेने लगा। कुछ घंटों के बाद तूफान तो थम गया, लेकिन जहाज की तली में एक छेद हो गया। अब जहाज में पानी भरने लगा। यह देखकर कुछ लोग जहाज में ही डूब गए और कुछ सौभाग्यशाली तैरकर किनारे पहुँच गए। यह देखकर व्यापारी ने प्रार्थना करनी शुरू की, “हे भगवान!
” कृपा करके मेरा जीवन बचा लो । ” एक व्यक्ति व्यापारी के पास गया और बोला, “कूदो और तैरकर समुद्र के किनारे पहुँचो । भगवान उसकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं। ” लेकिन व्यापारी ने उसकी एक न सुनी। वह जहाज में ही रहा । थोड़ी देर में जहाज डूब गया और वह व्यापारी भी जहाज के साथ डूबकर अकाल मृत्यु का ग्रास बना।
Moral Stories : Story 2. आलसी रिक्कू
रिक्कू एक आलसी खरगोश था । वह मेहनत नहीं करना चाहता था। वह धीरे-धीरे कुलाँचे भरते हुए चलता। अपने आलस और ढीलेपन के कारण वह हर जगह देर से पहुँचता। रोज सुबह उसके माता-पिता उसे जगाते हुए कहते, “बेटा, जल्दी बिस्तर छोड़ो | आलस करना एक बुरी आदत है । इस वजह से तुम्हें हानि उठानी पड़ सकती है। ‘ “
लेकिन रिक्कू उनकी सलाह पर कभी ध्यान नहीं देता था। एक दिन रिक्कू एक छायादार वृक्ष के नीचे लेटा हुआ था। पास में ही कुछ खरगोश खेल रहे थे। टिक्कू नाम का खरगोश दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला, “दोस्तो, यहाँ से भागो । एक लोमड़ी इधर ही आ रही है। वह हम सबको खा जाएगी।” यह सुनकर सभी खरगोश वहाँ से भाग गए। लेकिन रिक्कू अपने आलस के कारण नहीं उठा । उसने सोचा, ‘अभी तो लोमड़ी यहाँ से बहुत दूर है। मैं थोड़ी देर और सुस्ता लूँ | लोमड़ी के आने से पहले ही मैं भाग जाऊँगा।’ जल्दी ही लोमड़ी वहाँ पहुँच गई और रिक्कू भाग नहीं पाया। लोमड़ी ने उस पर झपट्टा मारकर उसे मार दिया। इस प्रकार अपने आलस के कारण रिक्कू को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
Moral Stories : story 3. एक अच्छा नेता
जंगल में चुनाव था, जिसके लिए सभी जानवर एकत्र हुए थे। चुनाव के बाद मतगणना आरम्भ हो गई। सभी चुनाव का परिणाम जानने को उत्सुक थे। मतगणना का कार्य पूरा हुआ। सियार को जंगल का नया राजा घोषित किया गया। उसकी प्रतिद्वंद्वी लोमड़ी चुनाव हार गई थी।
अब लोमड़ी ने उससे बदला लेने की तरकीब सोची। योजना के मुताबिक उसने एक जगह जाल बिछाया और उसमें कुछ माँस भी रख दिया। फिर वह सियार के पास जाकर बोली, “महाराज, एक पेड़ के नीचे अनछुआ माँस पड़ा हुआ है। आप वहाँ जाएँ और उसे अपना भोजन बनाएँ।
सियार वहाँ गया। माँस खाना शुरू करते ही वह जाल में फँस गया।
तब लोमड़ी ने यह बात सभी जानवरों को बताई और उन्हें बुला लाई । उसने सियार को दिखाते हुए कहा, “एक अच्छे नेता का अपनी इच्छाओं पर
नियंत्रण होना चाहिए और उसे कभी भी बिना सोच-विचार के दूसरों की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। परंतु सियार में ये दोनों ही गुण नहीं हैं, इसलिए यह कभी भी एक अच्छा नेता नहीं बन सकता । “
Inspiration stories + Moral Stories : Story. 4 धैर्य का लाभ
एक बार एक राजा अपना निजी सहायक नियुक्त करना चाहता था। इस भारी भीड़ जमा हो गई ।
वजह से महल में उम्मीदवारों की राजा सभी उम्मीदवारों की परीक्षा लेने के लिए उन्हें एक तालाब पर ले गया और बोला, ‘‘जो कोई इस बर्तन को तालाब के पानी से भर देगा, मैं उसी को अपना निजी सहायक नियुक्त करूँगा। लेकिन हाँ, मैं आप सबको यह अवश्य बताना चाहूँगा कि इस बर्तन में एक छेद है। “
कुछ लोग तो कोशिश किए बिना ही वहाँ से चले गए। कुछ लोग कोशिश करने के बाद वहाँ से चले गए।
लेकिन एक व्यक्ति धैर्यपूर्वक बर्तन में पानी भरने की कोशिश में लगा रहा। उसने बर्तन में पानी भरा और उसे जमीन पर हल्का-सा गाड़ कर रख दिया। लेकिन कुछ ही देर में पूरा पानी जमीन पर फैल गया। इसी तरह कोशिश करते-करते अन्ततः तालाब खाली हो गया। उस व्यक्ति को खाली तालाब से एक हीरे की अंगूठी मिली। उसने अँगूठी राजा को दे दी।
राजा उसकी ईमानदारी पर प्रसन्न होते हुए बोला, “यह अँगूठी तुम ही रख लो। यह तुम्हारे धैर्य एवं परिश्रम का इनाम है । और आज से तुम मेरे निजी सहायक हो।” किसी ने ठीक ही कहा है कि धैर्य का फल मीठा होता है।
Moral Stories : Story. 5 लाभ या हानि
अर्जुन एक दुकान पर मोमबत्ती लेने गया। उसने दो मोमबत्तियाँ खरीदीं। प्रत्येक मोमबत्ती की कीमत तीन रुपए थी। उसने दुकानदार को दस रुपए दिए। बदले में दुकानदार ने उसे चार रुपए वापस कर दिए। उनमें एक दो रुपए का सिक्का एवं दो एक-एक रुपए के सिक्के थे। जब वह घर पहुँचा तो वहाँ बिजली नहीं थी। इसलिए अर्जुन ने एक मोमबत्ती जलाई । परन्तु उसका एक रुपए का एक सिक्का कहीं गिर गया था। उसने चारों तरफ देखा, लेकिन उसे वह सिक्का कहीं नहीं मिला।
धीरे-धीरे पूरी मोमबत्ती जल गई। लेकिन अर्जुन को वह सिक्का नहीं मिला । अब उसने दूसरी मोमबत्ती भी जलाई और फिर सिक्के को ढूँढने लगा। कुछ समय बाद दूसरी मोमबत्ती भी पूरी जल गई, परन्तु किस्मत से तब तक अर्जुन को एक रुपए का सिक्का मिल गया था।लेकिन अर्जुन ने एक रुपए के लिए दो मोमबत्तियाँ जला दी थीं, जिनकी कीमत छह रुपए थी। अर्जुन सोचने लगा कि उसे लाभ हुआ या हानि। अब अर्जुन समझ गया था कि कोई भी निर्णय हमेशा सोच-समझकर लेना चाहिए, ताकि नुकसान से बचा जा सके।
Moral Stories : Story. 6 बुद्धिमान सोनू
सोनू एक नटखट, चालाक एव बुद्धिमान लड़का था। उसका हाजिरजवाबी देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता था।
एक दिन सोनू की माँ ने उसे कुछ फल लाने के लिए बाजार भेजा। लेकिन फल विक्रेता बेईमान और धोखेबाज था। उसने उसे सिर्फ नौ सौ ग्राम सेब ही तोलकर दिए। सर्तक सोनू ने ये देख लिया । वह बोला, “ये एक किलो सेब नहीं हैं। ये कुछ कम दिखते हैं। ‘
फल विक्रेता बोला, “नहीं, फल एकदम सही तोले हैं और वैसे भी यदि कम भी हैं, तो तुम्हें फल उठाने में आसानी होगी। इसलिए जितने हैं उतने चुपचाप
लेकर चलते बनो। “
सोनू चालाक था। उसने भी फल विक्रेता को नौ सौ ग्राम सेब के ही पैसे दिए।
यह देखकर फल विक्रेता बोला, “तुमने मुझे कम पैसे दिए हैं। सोनू भी अपने जवाब के साथ तैयार था । वह बोला, “नहीं, कीमत एकदम सही है। वैसे भी यदि पैसे कम हैं तो तुम्हें पैसे गिनने में आसानी रहेगी।” सोनू का बुद्धिमत्तापूर्ण जवाब सुनकर फल विक्रेता आश्चर्यचकित रह गया।
Moral Stories : Story. 7 अंतिम इच्छा
एक राजा थे। उनके दरबार में एक विदूषक था । वह बहुत चालाक था। वह न सिर्फ अच्छे-अच्छे चुटकले सुनाता था, बल्कि शासन के कार्यों में भी राजा की सहायता करता था । वह विदूषक कई बार तो राजा के ऊपर ही किस्से बनाकर सुना देता था।
वे एक दिन राजा को उसकी किसी बात से अपना अपमान महसूस हुआ। क्रोधित होते हुए बोले, “सैनिको इस उदंड आदमी को बंदी बना कर कैदखाने में डाल दो। कल इसे फाँसी दी जाएगी। , “तुम्हें जल्दी
अगले दिन विदूषक को दरबार में लाया गया। राजा उससे बोले
ही फाँसी दे दी जाएगी। यदि तुम्हारी कोई अंतिम इच्छा हो तो हमें बताओ?” उसे अवश्य ही पूरा किया जाएगा। यह सुनकर उस चालाक विदूषक ने कहा, महाराज, मेरी अंतिम इच्छा है कि मैं बुढ़ापे की मौत मरूँ। ” उसकी बात सुनकर राजा को हँसी आ गई। उन्होंने उसे माफ कर दिया। इस प्रकार चतुर विदूषक ने चालाकी से अपनी जिंदगी बचा ली।
Moral Stories : Story 8. काजी का न्याय
एक दिन तीन भाई न्याय पाने के लिए काजी के पास गए। उनका मामला बड़ा अनोखा था। वे काजी से बोले, “हमारे पिता की मृत्यु हो चुकी है। मरने से पहले हमारे पिता ने कहा था कि आधी जायदाद बड़े बेटे की होगी, जायदाद का एक-चौथाई हिस्सा दूसरे बेटे और जायदाद का छठवाँ हिस्सा के तीसरे बेटे का होगा। इसलिए हमने उनकी मृत्यु के बाद जमीन-जायदाद को उसी तरह बाँट लिया। लेकिन हम ग्यारह ऊँटों को नहीं बाँट पा रहे हैं। हम उन्हें किस प्रकार बाँटे?”
उनकी बात सुनकर कुछ देर तो काजी सोच में
पड़ गया लेकिन फिर बोला, “यदि तुम्हें एतराज न हो तो मैं तुम्हारे पशु समूह में “
अपने ऊँट को भी शामिल करना चाहता हूँ।
वे बोले, “नहीं, हमें कोई एतराज नहीं है । ” अब उनके पास बारह ऊँट हो गए थे। तब बड़े बेटे को बारह ऊँटों के आधे छह ऊँट मिले, वहीं दूसरे बेटे को एक-चौथाई के हिसाब से तीन ऊँट मिले और सबसे छोटे बेटे के हिस्से छठवें भाग के हिसाब से दो ऊँट आए।
बटवारा करने के बाद काजी ने अपना ऊँट वापस ले लिया। तीनों भाई काजी के चतुराईपूर्ण न्याय से बहुत खुश थे।
Moral Stories : Story 9. बुद्धिमान गंगा
महेश एक जुआरी था। उसकी जुआ खेलने की आदत से उसकी पत्नी गंगा बड़ी परेशान थी। एक दिन महेश जुए में सोनू से बहुत सारा पैसा हार गया। सोनू ने उससे पैसा माँगा। लेकिन महेश के पास उसे देने के लिए पैसे नहीं थे। तब सोनू बोला, ‘‘कल मैं तुम्हारे घर आऊँगा और जिस भी वस्तु पर सबसे पहले मेरा हाथ पड़ेगा, वह मेरी हो जाएगी।
महेश अपने घर गया और सारी बात अपनी पत्नी को कह सुनाई । वह बोली, “मैं तुम्हारी मदद सिर्फ इस शर्त पर करूँगी, कि तुम अब कभी जुआ नहीं खेलोगे। मुझसे इस बात का वादा करो।”
महेश ने जुआ छोड़ने का वादा कर लिया। गंगा ने सारा कीमती सामान एक संदूक में भरकर संदूक को ऊँचाई पर रख दिया।
अगले दिन सोनू उनके घर आया । वह जानता था कि सारा सामान एक संदूक में रखा है। वह उस तक पहुँचने के लिए वहाँ लगी सीढ़ी से चढ़ने लगा। उसने जैसे ही सीढ़ी को छुआ, गंगा बोली, “रुको! तुम्हारे कहे अनुसार सीढ़ी तुम्हारी हुई, क्योंकि तुमने सबसे पहले इसे ही छुआ है । ” बेचारा सोनू दुखी मन से वहाँ से चला गया।
Moral Stories : Story. 10 सुनहरी चिडिया
एक जंगल में एक सुनहरी चिड़िया रहती थी । वह मीठे गीत गाया करती थी । जब वह गाना गाती तो उसकी चोंच से चमकदार मोती गिरते। एक दिन एक बहेलिए ने उसे पकड़ लिया। उसने उसे अपने घर ले जाकर एक सोने के पिंजड़े में रख दिया। वह उसे अच्छा खाना देता, लेकिन चिड़िया दुखी रहती । वह आजादी का आनंद लेना चाहती थी। अब वह पिंजड़े में गाना भी नहीं गाती थी।
इस वजह से बहेलिए को एक भी मोती नहीं मिल पा रहा था। तंग आकर बहेलिए ने उस सुनहरी चिड़िया को राजा को उपहार स्वरूप भेंट कर दी। राजा ने वह चिड़िया राजकुमारी को दे दी। राजकुमारी एक अच्छी लड़की थी । वह बहुत दयालु थी। उसने सुनहरी चिड़िया को आजाद कर दिया। चिड़िया अपनी आजादी से बहुत खुश थी, इसलिए वह पुन: गाने लगी।
फलस्वरूप उसकी चोंच से राजकुमारी के कमरे में मोती गिरने लगे। उस दिन से वह सुनहरी चिड़िया रोज राजकुमारी से मिलने आती और उसके लिए गाना गाती। वह जैसे ही गाना गाती वैसे ही उसकी चोंच से मोती झड़ते। यह उसकी तरफ से प्यारी राजकुमारी के लिए तोहफा था।
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