पोक्सो क़ानून 2012 (Pocso act) – The Protection of Children from Sexual Offences, act) लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 है।आये दिन हम बाल यौन शोषण के बारे में देखते और सुनते है इसके लिए कई सारे प्रावधान सरकार के द्वारा मौजूद है। यह क़ानून भारत में नाबालिक बच्चों (18 साल से कम उम्र )के बच्चों के लैंगिक / यौन शोषण, यौन उत्पीड़न जैसे जधन्य अपराधों को रोकने (Protecting Children from sexual abuse )के लिए भारत की संसद यानि कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय(Ministry of women and child Development) द्वारा पोक्सो ऐतिहासिक अधिनियम 14नवंबर 2012 को लागू किया गया था । इस अधिनियम के तहत अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग सजा भी निर्धारित की जाती हैं इस अधिनियम के अंतर्गत क़ानून के प्रभाग यौन अपराध, छेड़छाड़ व अश्लील चित्र या वीडियो बनाने के अपराध के प्रतिषेध कृत कानून हैं कुछ धाराओं के अंतर्गत उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान हैं जब बच्चों को शारीरिक व मानसिक रूप प्रताड़ित किया जाता है तो उसे बाल शोषण कहते है यानि की नाबालिक बच्चों के साथ हुआ शारीरिक या मानसिक शोषण। अक्सर इसमें शामिल हमारे आस पास के रिश्तेदार, मित्र, पड़ोसी होते है जिनकी हरकतों से उनके कृत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है और कई बार अनुशासन और सुधार के नाम पर माता -पिता, शिक्षक, सहपाठी द्वारा दुर्व्यवहार बच्चों को मानसिक व शारीरिक रूप से उनको प्रताड़ित किया जाता है विशेष नये संशोधनों के आधार पर बच्चे अपने ऊपर हुए अपराधों की FIR करने के उपरांत आरोपी को अपने आप को निर्दोष साबित करना होता है| बच्चे पर अपराध हुआ इसके लिए आरोप लगाना ही पर्याप्त होता है इस कानून के अंतर्गत बालक और बालिका दोनों को ही सामान रूप से सुरक्षा प्रदान की जाती है विशेष न्यायालयों में बच्चों के प्रति हुए अपराध की गंभीरता व उसे हुए सामाजिक व मानसिक नुकसान का आकलन करता है सामाजिक शिक्षा भावनात्मक व शारीरिक नुकसान के अनुसार दंडात्मक कार्यवाही करता है
संविधान के अनुच्छेद 15का खंड(3)अन्य बातो के साथ राज्य के बालको के लिए विशेष उपबंध करने के लिए सशक्त करता है। भारत सरकार ने 11दिसंबर 1992को संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा बालको के अधिकारों से सम्बंधित सर्वोत्तम हितों को सुरक्षित रखने के लिए सभी राज्य पक्षकारों द्वारा पालन किए जाने वाले मानको को विहित करता है बालक के उचित विकास के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उसकी निजता और गोपनीयता के अधिकार का सभी प्रकार से तथा बालकों को अन्तर्वालित करने वाली न्यायिक प्रक्रिया के सभी प्रक्रमों के माध्यम से संरक्षित और सम्मानित किया जाए। यह अनिवार्य है कि विधि ऐसी रीति से प्रवर्तित हो कि बालक के अच्छे शारीरिक,भावत्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रक्रम पर बालक के सर्वोत्तम हित व कल्याण पर सर्वोपरि महत्त्व के रूप में ध्यान दिया जाए। पोक्सो कानून उत्तर धारा-233 (d) CRPC,1973में विशेष न्यायलयों की स्थापना का प्रावधान किया गया हैं।
POCSO Act Sections (धारा )
Section of Pocso act -पोक्सो कानून भारत के सभी नागरिकों पर लागू है
POCSO Act धारा-3 (Section 3)
धारा 3 के तहत प्रवेशन लैंगिक हमला का जिक्र,बालक के शरीर के किसी भाग के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे वह बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा या शरीर के किसी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है
POCSO अधिनियम धारा-4 (Section-4)
धारा 4 के तहत penetrative sexual (प्रवेशन लैंगिक ) उत्पीड़न के ऐसी अवधि के लिए करावास है जिसकी सजा 7 साल से कम नहीं होगी लेकिन आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है
POCSO अधिनियम धारा -5 (Section-5)
Pocso act धारा 5 के तहत जो कोई भी व्यति बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और बालक को सार्वजानिक रूप से विवस्त्र करता है और जो कोई पुलिस अधिकारी होते हुए भी पुलिस थाने या ऐसी परिसारो की सीमाओं के भीतर उनकी नियुक्ति की गई है चाहे वह उस पुलिस थाने में अवस्थित है या नहीं, जो कोई किसी शैक्षिण संस्था या धार्मिक संस्था का प्रबंध या या कर्मचारी खुद होते हुए भी उस संस्था में किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है इन सभी व्यक्तियों को धारा 5 के तहत सजा दी जाती है
Pocso act धारा-6 (Section-6)
धारा 6 में गुरुतर लैंगिक हमला के कारण न्यूनतम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है
POCSO act धारा 7,8 (Section 7,8)
Pocso act धारा 7 और 8 के तहत उन मामलों का पंजीकरण किया गया है जिसमें के गुप्तांग से छेड़छाड़ की जाती है इन धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है
POCSO act 9,10 (Section 9,10)
धारा 9 और 10 के तहत जो किसी बालक को शारीरिक रूप से नुकसान उसके /उसकी ज्ञानेंद्रियों को क्षति पहुंचाता है जिससे बालक शारीरिक रूप से अशक्ति हो जाता है या बालक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 की धारा 2 के खंड के अधीन किसी प्रकार का ऐसा ह्यस कारित करता है जिससे बालक अस्थायी या स्थायी रूप से नियमित कार्य करने में अयोग्य हो जाता है,जो कोई बालक की मानसिक और शारीरिक अशक्तता का लाभ उठाते हुए बालक पर लैंगिक हमला करता है तो उस व्यक्ति को धारा 9और 10 तहत सजा सुनाई जाती है।
POCSO act धारा–11 और 12 Section 11 & 12
Pocso act धारा 11 और 12 के तहत कोई व्यक्ति बालक पर लैंगिक उत्पीड़न(Sexual assault) करता है लैंगिक से आशय : कोई अंगविक्षेप करता है कोई शब्द कहता है, कोई ध्वनि या कोई वस्तु या शरीर का भाग देखा जायेगा अन्यथा बालक के शरीर के किसी भाग में बालक के अंतर्ग्रस्त होने का इलेक्ट्रॉनिक, फिल्म या अंकीय या किसी अन्य पद्धति के माध्यम से वास्तविक या गढ़े गये चित्रों को मिडिया के किसी रूप में उपयोग की धमकी देता है या अश्लील प्रयोजनो के लिए किसी बालक को प्रलोभन देता है इस धारा के तहत सजा एक ऐसी अवधि के लिए करवास है जो तीन साल तक बढ़ सकती है इस सीमा के भीतर कानून के तहत निर्धारित करावास की न्यूनतम अवधि से नीचे की अवधि को कम करने के लिए कोई विवेकाधिकार नहीं है।
POCSO अधिनियम धारा 13,14 व 15 (Section 13,14 and 15
pocso act धारा 13,14 व 15 के तहत बच्चों को बाल यौन शोषण सामग्री जिसे (child pornography ) बनाने के लिए प्रोत्साहित करना या उपयोग करने पर कड़ी सजा दी जाती है।
POCSO act Section 17,18
Pocso act धारा 17व 18के तहत इसमें उन परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जिनके तहत किसी व्यक्ति को अपराध के लिए उकसाने के लिए कहा जाता है यदि उकसाने के परिणाम स्वरूप उकसाया गया किया जाता है तो उस अपराध के लिए प्रदान की गई सजा के साथ जुर्माना क्या दोनों के साथ कैद की सबसे लंबी अवधि के साथ दंडित किया जाएगा।
POCSO act धारा 19,20 शिकायत नहीं करने पर सजा (Fails to Report)
कोई भी व्यक्ति जो धारा 19 या धारा 20 की उपधारा (1) के तहत किसी भी अपराध होने की रिपोर्ट करने में विफल रहता है या जो धारा 19 की उपधारा (2) के तहत ऐसे अपराध को दर्ज करने में विफल रहता है उसे कारावास से दण्डित किया जायेगा दोनों में से किसी एक का विवरण जो 6 महीने तक बढा या जा सकता है या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
POCSO act धारा-20 PRESS के लिए प्रवधान
Pocso act के अंतर्गत प्रेस के लिए विशेष प्रावधान – धारा 20 के अनुसार पत्रकार किसी किसी बालक के लैंगिक शोषण से सम्बंधित किसी भी प्रकार की सूचना जो उसके पास उपलब्ध हो वह स्थानीय पुलिस को उन जानकारियों को उपलब्ध कराएगा। ऐसा नहीं करने पर यह कार्य अपराध की श्रेणी में आएगा।मीडिया स्टूडियो का प्रशासक संयुक्त रूप से या व्यक्तिगत रूप से अपने कर्मचारी के कार्यों के लिए उत्तरदायी होगा प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 6 माह से 1 वर्ष के कारावास और जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
POCSO act धारा 34 बालक के विरूद्ध अपराध
Pocso act special court धारा 34 के तहत विशेष अदालत को —–
बालक के विरुद्ध लैंगिक अपराध -: 1प्रवेशन लैंगिक हमला और उसके दंड : यदि कोई भी व्यक्ति बालक के शरीर के किसी भी भाग के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे वह बालक के योनि,मूत्रमार्ग या गुदा या शरीर के किसी भी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है। वह दोनों में से किसी भी भाति के करावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष से कम कि नहीं होगी किन्तु आजीवन करवास तक की हो सकेगी और दण्डित किया जायेगा।
गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला और उसके लिए दंड (Aggravated penetrative sexual assault and Punishment ):-
गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला और उसके लिए दंड :- जो कोई पुलिस अधिकारी होते हुए या कोई सशस्त्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य होते हुए या फिर कोई शैक्षणिक संस्था या धर्मिक संस्था का प्रबंध होते हुए बालक पर गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है अन्यथा जहाँ किसी बालक पर किसी समूह के एक या अधिक व्यक्तिओं द्वारा उनके सामान्य आशय को अग्रसर करने में लैंगिक हमला किया गया है वहाँ ऐसे प्रत्येक व्यक्तियों द्वारा इस खण्ड के अंतर्गत सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला किया जाना समझा जायेगा और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति उस कृत के लिए वैसा ही उत्तरदायी होगा जैसाकि वह उसके द्वारा अकेले किए जाने पर। जो कोई किसी बालक पर घातक आयुध, अग्न्यायुध, गर्म पदार्थ या संक्षारक पदार्थ का प्रयोग करते हुए प्रवेशन लैंगिक हमला करता है अर्थात जो कोई 12वर्ष से कम आयु के बच्चे पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है जिसकी सजा 10 वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन करावास तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
लैंगिक हमला और उसके लिए दंड( Sexual Assault and Punishment)
लैंगिक हमला और उसके लिए दंड :-लैंगिक से आशय जो कोई बालक के योनि, लिंग, गुदा या स्तनों को स्पर्श करता है या बालक से ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसमें प्रवेशन किए बिना शारीरिक सम्पर्क अंतरग्रस्त होता है लैंगिक हमला कहा जाता है। जो कोई लैंगिक हमला करेगा वह दोनों में से किसी भाति के कारावास जिनकी अवधि 3वर्ष से कम की नहीं होंगी किन्तु जो 5वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जायेगा।
लैंगिक उत्पीड़न और उसके लिए दंड :-कोई व्यक्ति किसी बालक को कोई शब्द कहता है कोई ध्वनि या अंगविक्षेदप करता है कोई वस्तु या शरीर का भाग इस आशय के साथ प्रदर्शित करता है जिससे बालक के शरीर या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करवाता है जिससे उसको ऐसे या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखा जा सके लैंगिक उत्पीड़न के अंतर्गत आता है।जो किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न करेगा वह दोनों में से किसी भी भाति के कारावास से जिनकी अवधि 3वर्ष की हो सकेगी दण्डित किया जायेगाऔर जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग उसके लिए दंड :
अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग उसके लिए दंड :- जो कोई किसी बालक का मीडिया के जिसमें टेलीविजन चैनलों या इंटरनेट या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्ररूप या मुद्रित प्ररूप द्वारा प्रसारित कार्यक्रम या विज्ञापन जो व्यक्तिगत उपयोग व वितरण के लिए हो या नहीं सम्मिलित हो किसी प्रारूप में ऐसे लैंगिक परितोषण के प्रयोजनों के लिए उपयोग करता है जिसमें किसी बालक को अशोभनीय अश्लीलता पूर्ण प्रदर्शित करता है वह अश्लील प्रयोजनों का उपयोग करने अपराधी होगा।
जो कोई अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करेगा उस व्यक्ति को धारा 3 के निर्दिष्ट किसी अपराध को अश्लील ( pornography ) कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने पर जिन की सजा 10 वर्ष से कम नहीं होगी और धारा 5 के तहत कठोर आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। बालकों के लिए अश्लील प्रयोजनों का उपयोग करने पर धारा 7 की निर्दिष्ट अपराध के लिए 6 वर्ष की सजा जो 8 वर्ष तक की भी हो सकती है और जुर्माने भी दंडनीय होंगे और धारा 9 के अंतर्गत अश्लील प्रयोजनों का उपयोग करने वाले व्यक्ति जिनके कारावास की अवधि 8 वर्ष से कम नहीं होगी 10 वर्ष तक की हो सकेगी।
मामलों को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया ( Procedure for reporting cases):-
मामलों को रिपोर्ट करने की प्रक्रिया :- दंड प्रक्रिया संहिता (1974) किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति ( जिसके अंतर्गत बालक भी है ) जिसको यह आशंका है कि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किए जाने की संभावना है या यह जानकारी रखता है कि ऐसा कोई अपराध किया गया है जिसमें एक प्रविष्ट संख्या अंकित होगी और लेखबद्ध किया जायेगा, यदि बालक द्वारा नहीं समझी जाने वाली अंतर्वस्तु अभिलिखित की जा रही है या बालक उसको समझाने में असफल रहता है तो कोई अनुवादक या कोई दुभाषिया जो ऐसी अर्हताएं अनुभव रखता है जब कभी आवश्यक समझा जाएगा तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा। विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस अनावश्यक विलंब किए बिना किंतु 24 घंटे की अवधि के भीतर मामले को बालक कल्याण समिति और विशेष न्यायालय जहां कोई विशेष न्यायालय पदाभिहित नहीं किया गया हो वहाँ सेशन न्यायालय की रिपोर्ट जारी करेगी जिसके अंतर्गत बालक की देखभाल और संरक्षण के लिए आवश्यकता और इस संबंध में किए गए अपराध भी है।
जो कोई भी व्यक्ति धारा 3,5,7, 9 के अधीन किए गए किसी भी अपराध के संबंध में किसी व्यक्ति के विरुद्ध उसको अपमानित करने धमकाने या उसकी मानहानि करने के एकमात्र आशय से मिथ्या परिवाद करेगा या मिथ्या सूचना उपलब्ध कराएगा उसे 6 माह का कारावास और जुर्माने दोनों से दंडित किया जाए। कोई व्यक्ति किसी प्रकार की प्रेस या स्टूडियो या फोटोग्राफी संबंधी से पूर्ण या अभिप्रमाणित रखे बिना, किसी बालक के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं कराएगा या उस पर कोई ऐसी टिप्पणी नहीं करेगा जिससे उसकी ख्याति का हनन जिससे उसकी निजता का उल्लंघन होना प्रभावित होता हो।किसी मीडिया में कोई रिपोर्ट बालक की पहचान को जिसके अंतर्गत उसका नाम, पता, फोटो चित्र, परिवार के ब्यौरे, विद्यालय, पड़ोस या कोई ऐसी अन्य विशिष्टयां भी है जिससे बालक की पहचान का प्रकटन होता हो प्रकट नहीं करेंगी परंतु ऐसे कारणों से जो अधिनियम के अधीन अभि लिखित किए जाएंगे मामलों का विचारण करने के लिए सक्षम विशेष न्यायालय ऐसे प्रकटन के लिए अनुज्ञात कर सकेगा यदि उसकी राय में ऐसा प्रकटन बालक के हित में हो। कोई भी व्यक्तिइन उपबंधों का उल्लंघन करता है किसी 1 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
POCSO Act की प्रमुख विशेषताएं -:
Pocso act की प्रमुख विशेषताएं -: अधिनियम का यह मानना है कि यौन शोषण में शारीरिक संपर्क हो या ना हो इन अपराधों को यौन उत्पीड़न के अंतर्गत ही रखा जाएगा
पोक्सो एक्ट के अंतर्गत अधिनियम बच्चे के बयान को दर्ज करने के दौरान विशेष अदालत सूचना संस्थाओं द्वारा विशेष प्रक्रियाओं का पालन करेगा।
इस अधिनियम में यह सुनिश्चित करने का प्रावधान है कि मीडिया द्वारा बच्चे की यौन अपराध का खुलासा नहीं किया जाएगा।
पोक्सो एक्ट में अपराध और अपराधियों शोषण पुरुष महिला और तीसरे लिंग भी हो सकती है।
सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय बाल संरक्षण मानकों के अनुरूप इस अधिनियम में यह प्रावधान है कि बच्चों का यौन शोषण हुआ है और कोई व्यक्ति जानता है और उसकी रिपोर्ट नजदीक थाने में नहीं करवाता है तो उसको 6महीने का कारावास और आर्थिक दंड लगाया जा सकता है
पोक्सो एक्ट के तहत यौन सहमति की उम्र 16 वर्ष से बढ़कर 18 वर्ष कर दी गई है।
Pocso अधिनियम में मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को अनुवादक दुभाषिया या विशेष शिक्षक की सहायता की माध्यम से पुलिस स्टेशन,मजिस्ट्रेट और विशेष अदालत(Special Court) के स्तर पर संवाद करने में सक्षम बनाने के प्रावधान है।
बालकों को पूर्व -परिक्षण चरण, परिक्षण चरण के दौरान अनुवादको, दुभाषियों, विशेष शिक्षको, विशेषज्ञ, समर्थन व्यक्तिओं और गैर -सरकारी संगठनों के रूप अन्य विशेष सहयता प्रदान की जाती हैं।
Pocso कानून के तहत सूचीबद्ध अपराधों से निपटाने के लिए विशेष न्यायालयों की पदनाम और विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति का प्रावधान है।
एक मराठी फिल्म नई वारनभात लोंचा, कोन नई कोंचा विवादित चर्चा का विषय बनी रही जिसमें अभिनेता और निर्देशक महेश मांजरेकर द्वारा निर्देशित इस फिल्म पर आरोप लगाया गया कि महिला अभिनेत्रियों के साथ 13-14 वर्षीय नाबालिगों की शूटिंग आपत्तिजनक है साथ ही यह फिल्म विकृति, हिंसा और अश्लीलता की चित्र को दर्शाती है जो कि लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पोक्सो एक्ट 2012 की विभिन्न धाराओं उल्लंघन भी करती है। जारी किए गए प्रमाण पत्र को रद्द करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर के समक्ष की जनहित याचिका दायर की गई इसके साथ ही NGO की अध्यक्षता द्वारा अस्थाई पुलिस थाने में FIR दर्ज कराई गई जिस पर पुलिस द्वारा कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की जिसके चलते हुआ मामला स्थानीय पोक्सो न्यायालय में पोक्सो एक्ट 2012 की धारा 13 सपठित धारा 21 वह धारा 292 ( भारतीय दंड संहिता ) के अधीन याचिका दायर की गई जिसमें मांग की गई कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा -156(3)के तहत पुलिस को FIR फाइल करने और पक्षपात रहित अन्वेषण किए जाने के आदेश दिए जाए।
जब किसी बच्चे का यौन शोषण होता है तो पुलिस द्वारा पहेली सूचना रिपोर्ट (FIR) में पोक्सो अधिनियम की धारा जोड़ी जा सकती है जबकि विशेष कानून IPC को प्रत्यादिष्ट करते हैं जबकि दोनों की धाराओं का अक्सर प्राथमिकी में उल्लेख किया जाता है IPC की धारा 376( बलात्कार) के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एक आरोपी को सुनिश्चित करेगी pocso के तहत सजा IPC के मुकाबले अधिक कठोर होती है।
क्या होता है POCSO कोर्ट (What is POCSO Court)-:
Pocso कानून के तहत दर्ज किए गये मामले को ही शामिल किया जाता है।2019में केंद्र सरकार ने आदेश दिया था कि केंद्र सरकार देश के हर जिले में विशेष pocso कोर्ट बनाएंगी जहाँ 100से ज्यादा pocso मामले दर्ज किए जायेंगे इन अदालतो के लिए केंद्र सरकार उन्हें फंड देंगी। सरकार द्वारा कोर्ट को 60दिन में बनाया जायेगा इन कोर्ट के जरिये बच्चों के यौन उत्पीड़न मामलों को जल्द से जल्द निपटाने कि कोशिश की जाती है।भारत में यह अक्सर सुनने को मिलता है कि न्यायलय में न्याय मिलने में काफी समय लगता है किसी व्यक्ति को 40-50साल बाद न्याय मिलता है तो किसी को मरने के बाद न्याय मिलता है लेकिन उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में रेप और हत्या का मामला सामने आया जिसमें बच्ची को 140दिन में दोषी को सजा-ए -मौत सुनाई गयी और केस का निपटारा किया गया।
निष्कर्ष -:बच्चे देश का भविष्य होते हैं और हर साल कई सारे नाबालिक अपने घरों, स्कूलों व होटलों आदि में लैंगिक शोषण का शिकार होते जा रहे हैं बालकों का लैंगिक शोषण जघन्य अपराध हैं और उन पर प्रभावी रूप से कार्यवही करना आवश्यक हैं शायद यही कारण हैं कि धारा 19/21के अधीन कठोर दायित्व आरोपित किया गया हैं पोक्सो एक्ट का मुख्य उद्देश्य है 18 साल से कम बच्चों को यौन दुर्व्यवहार और लैंगिक हमला से सुरक्षा प्रदान करना साथ ही बच्चों में शारीरिक व भावात्मक बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने का अवसर भी देना शामिल है।
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