1.Mizaaj Dairy
ज्यादातर वनस्पतियां
जब पतझड़
की
ओर रुख़ करतीं हैं
जंगल
पलाश को थामे
आगे बढ़ता है।
मिज़ाज (द्वारा लिखित “उपन्यास रात के जूडे़ में पलाश के फूल“) से
2.क्या क्या लिखें
लिखने को बहुत कुछ था,
क्या क्या लिखते,
कथा,कहानी,
कि सबर,तलब ,गिरह,आह, और सिला हयात का,
कि तुम्हारे जवाबों के सवाल या,
इतिहास का तजुर्मा,
कि नक्श का हिजाब ए फ़ितन,
और सोखी-ए-तहरीर,
तुम कहो तो लिख दूँ,
हिज्र के किस्से,
और शहर की खानाजंगी ,
आहत सिक्कों की तरह,
पर क्या लिखें,
और कैसे लिखे,
आना भी तो चाहिए,
स्याही भी तो चाहिए…
हर्ष मणि सिंह ”मिज़ाज”
सहायक आचार्य (अर्थशास्त्र)
ईश्वर शरण कॉलेज प्रयागराज
(इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
प्रस्तुत रचना लेखक की प्रसिद्ध रचना ”रात के जूड़े में पलाश के फूल “ का एक छोटा सा अंश है। रचना के सवांदो और लेखक के बारीक अवलोकन के लिए आपको इनकी इस रचना को जरूर पढ़ना चाहिए
Sahitya manch
परिचय
हर्ष मणि सिंह ‘मिज़ाज’ वर्तमान में सहायक आचार्य (अर्थशास्त्र) के पद पर ईश्वर शरण कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत हैं वह इससे पूर्व वित्त विभाग उत्तर प्रदेश सरकार में सिविल सेवक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
संदीप राज़ आनंद
साहित्य संपादक
The Praman