रोहित गुस्ताख़ की ग़ज़लें…
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Sahitya manch साहित्य मंच - धीरज तिवारी के गीत गीत_1 हाय इस निर्मम धरा परदौड़ता दिन रात रे मन ! ...