कई बीते दिनों से एक शब्द सुनने को मिल ही जा रहा है “संसद का मानसून सत्र” आखिर क्या है संसद का मानसून सत्र आईये जानते है आसान भाषा में ——-
क्या संसद का सत्र-;
संसदीय सत्र(parliament session) वह समय होता है जब कोई सदन देश के कामकाज के संचालन के लिए कुछ अवधि तक निरंतर बैठक करता है। आमतौर पर एक वर्ष में तीन सत्र होते हैं। एक सत्र में कई बैठकें होती हैं।
सामान्य तौर पर, सत्र इस प्रकार हैं:
बजट सत्र (फरवरी से मई)-;
मानसून सत्र (जुलाई से सितंबर)-;
शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर )-;
शीतकालीन सत्र यानी तीसरे सत्र का आयोजन नवंबर से दिसंबर तक किया जाता है।
संविधान क्या कहता है —
अनुच्छेद 85 के अनुसार, संसद के दो सत्रों के मध्य ‘छह महीने से अधिक’ का अंतराल नहीं होना चाहिए।
यंहा ध्यान देने योग्य बात यह की , संविधान यह निर्दिष्ट नहीं करता है, कि संसद का सत्र कब या कितने दिनों के लिए होना चाहिए।
संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने से अधिक नहीं हो सकता है। अर्थात, एक वर्ष में कम से कम दो बार संसद की बैठक होना अनिवार्य है।
संसद सत्र आहूत करना (Summoning of Parliament):
संसद के सभी सदस्यों को मिलने के लिए बुलाने की प्रक्रिया को संसद का आहूत(Summoning ) कहा जाता है। सविंधान के अनुसार इसका अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है परन्तु व्यवहारिक तौर पर, वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति संसदीय बैठकों की तारीखें तय करती है और फिर उन तारीखों के बारे में राष्ट्रपति को सूचित करती है। इस प्रकार, प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी के साथ, राष्ट्रपति के पास संसद के आयोजन की सिफारिश करने की शक्ति है
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संसदीय सत्र का महत्व:(importance of parliament session)-;
एक अच्छी तरह से काम करने वाले लोकतंत्र के लिए पूर्वानुमेय संसदीय प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है