पिता नाम कर्तव्य का, पिता नाम संकल्प।
कहाँ पिता का विश्व में, कोई और विकल्प।।
पिता पूर्ण परिवार हित, करते हैं तप-कर्म।
तभी पिता को मानता, वेद गगन औ धर्म।।
परमपिता को है मिला, पिता शब्द सम्मान।
पिता सकल संसार में, हैं तपनिष्ठ महान।।
नाम करेगा पुत्र कल, मन में रख विश्वास।
पिता काटते उम्र भर, खुशियों का वनवास ।।
उनके तप औ’ त्याग का, होगा कहाँ हिसाब।
अनुभव, नेह औ’ ज्ञान की, होते पिता किताब।।
पिता स्वयं सहते रहे, आतप, बारिश, शूल।
बाँटा पर संतान को, सदा निरंतर फूल।।
घर खाली-खाली लगे, है दलान बेहाल।
बाबूजी जब से गये, सूना है चौपाल।।
सत्यम भारती
शोध छात्र(हिन्दी साहित्य)
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
वर्धा (महाराष्ट्र)