Belt and Road Initiative (बेल्ट रोड इनिशिएटिव)
Belt and Road Initiative (बेल्ट रोड इनिशिएटिव) (BRI ) परियोजना 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई थी| इसे ‘सिल्क रोड इकॉनमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड (one belt one road) के रूप में भी जाना जाता है| यह एक विकास रणनीति है जो कनेक्टिविटी पर केंद्रित है| इसके माध्यम से सड़कों, रेल, बंदरगाह, पाइपलाइनों और अन्य बुनियादी सुविधाओं को ज़मीन और समुद्र होते हुये एशिया, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ने का विचार है|
BELT- “Silk Road Economic Belt ” के मुख्य तीन मार्ग –
1) चीन से मध्य एशिया और रूस से यूरोप तक;
2) चीन से मध्य और पश्चिमी एशिया तक फारस की खाड़ी और भूमध्य सागर तक;
3) चीन से दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया और हिंद महासागर।
ROAD- “ 21st Century Maritime Silk Road ” के मुख्य दो मार्ग –
1) चीनी तटीय शहरों से, दक्षिण चीन सागर से होते हुए हिंद महासागर तक, यूरोप तक फैला हुआ;
2) चीनी तटीय शहरों से, दक्षिण चीन सागर से होते हुए दक्षिण प्रशांत तक
(BRI ) बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के अनुसार, 140 देशों ने जनवरी 2021 तक चीन के साथ समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding ) पर हस्ताक्षर किए हैं।
– ( www.yidaiyilu.gov.cn ) के अनुसार
अन्य महाद्वीपों में (one belt one road ) के समझौते को लेकर अपनी सहमति जताई ——-
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40 देश -- उप-सहारा अफ्रीका
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34 देश--- यूरोप और मध्य एशिया (including 18 countries of the European Union )
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24 देश --- पूर्व एशिया और प्रशांत
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17 देश ---मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका
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19 देश ----लैटिन अमेरिका और कैरेबियन
Belt and road initiative( BRI) 6 Corridor (गलियारे)
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चीन-पाकिस्तान (China-Pakistan)
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न्यू यूरेशिया लैंड ब्रिज (New Eurasia Land Bridge)
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चीन-मंगोलिया-रूस(China-Mongolia-Russia)
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चीन-इंडोचीन प्रायद्वीप( China-Indochina Peninsula)
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बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (Bangladesh-China-India-Myanmar)
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चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया( China-Central Asia-West Asia)
आधिकारिक(Officially) तौर पर, बीआरआई के “पांच लक्ष्य” हैं:
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नीतियों का समन्वय,(policy coordination,)
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सुविधाओं का अंतर्संबंध,(facilities connectivity)
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अप्रतिबंधित व्यापार(unimpeded trade )
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मौद्रिक एकीकरण, और लोगों से लोगों के संबंध। (financial integration, and people-to-people bonds)
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चीन की मंशा(Chinese intention)
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हालाँकि, इसका एक उद्देश्य यह भी है कि इसके द्वारा चीन अपना वैश्विक स्तर पर प्रभुत्व बनाना चाहता है|
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वन बेल्ट, वन रोड के माध्यम से एशिया के साथ-साथ विश्व पर भी अपना अधिकार कायम करना|
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दक्षिणी एशिया एवं हिंद महासागर में भारत के प्रभुत्व को कम करना|,
Debt trap
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वस्तुतः इस परियोजना के द्वारा चीन सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझोंते करके, उन्हे आर्थिक सहायता एवं ऋण उपलब्ध कराकर उन पर मनमानी शर्तें थोपना चाहता है जिसके फलस्वरूप वह सदस्य देशों के बाज़ारों में अपना प्रभुत्व बना सके|
Geopolitical and economic motivations-
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असल में पिछले काफी सालों से चीन के पास स्टील, सीमेंट, निर्माण साधन इत्यादि की सामग्री का आधिक्य हो गया है| अत: चीन इस परियोजना के माध्यम से इस सामग्री को भी खपाना चाहता है|
बर्टिल लिंनर की पुस्तक
( The Costliest Pearl: China’s Struggle for the Indian Ocean,), चीन के रणनीतियों की जांच करती है कि (BELT ROAD INITIATIVE) के बैनर तले हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों के साथ चीन की बढ़ती भागीदारी भारत में सत्ता की व्यवस्थित संरचना को दे रही है | चीन ने अभी तक मलेशिया(malaysia) में दो, म्यांमार(Myanmar) और बांग्लादेश(Bangladesh) (चटगांव) में एक-एक: आज इस तरह के सात बंदरगाहों / कंटेनर टर्मिनल का निर्माण किया जा रहा है, या ड्राइंग बोर्ड पर, भारत के आसपास के क्षेत्र में कर रहे हैं।
China in Srilanka
श्रीलंका में दो (हंबनटोटा और कोलंबो में एक कंटेनर टर्मिनल) और एक सुदूर दक्षिण में गण द्वीप पर मालदीव में। इसके अलावा, चीन ने लाल सागर में चार बंदरगाह और कंटेनर टर्मिनल निर्माण परियोजनाएं शुरू की हैं, और जिबूती के अलावा अफ्रीका के पूर्वी तट के नीचे, केन्या और तंजानिया के माध्यम से मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर तक छह और परियोजनाएं शुरू की हैं। कुल मिलाकर, इसलिए चीन अब हिंद महासागर के आसपास 18 प्रमुख बंदरगाह और रेलवे निर्माण परियोजनाओं में शामिल है।
China in Kashmir:
चीन धीरे-धीरे कश्मीर में अपने पैर-पसार रहा है। 1950 के दशक से, चीन अक्साई चिन पर कब्जा कर रहा है; 1963 में, पाकिस्तान ने ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट चीन को सौंप दिया; कश्मीर में चीन की पहली सीमा पार बुनियादी ढांचा परियोजना – काराकोरम राजमार्ग – 1960 के दशक के उत्तरार्ध की है और अब इसकी उपस्थिति CPEC (China–Pakistan Economic Corridor ) के साथ और बढ़ रही है।
दक्षिण एशिया में चीन(China in South Asia ):-
बीआरआई(BRI ) दक्षिण एशिया में चीन के वाणिज्यिक, आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा प्रभाव को व्यापक रूप से मजबूत करेगा जो भारत की क्षेत्रीय प्रधानता को हाशिए पर रख सकता है।
भारत के विचार (India’s Views on belt and road initiative ):
भारत ने देशों को यह समझाने की कोशिश की है कि बीआरआई एशिया पर हावी होने की एक योजना है, जिसे कुछ विश्लेषकों ने “मोतियों की स्ट्रिंग”(Pearls of string) भू-आर्थिक रणनीति कहा है, जिससे चीन हिंद महासागर में भूमि का नियंत्रण जब्त कर लेगा । हिंद महासागर क्षेत्र में अस्थिर कर्ज का बोझ पैदा कर सकता है।
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