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Child marriage act : जानिये क्या है बाल विवाह पर बना नया कानून, क्यों जरूरी है ? लड़कियों के लिए यह कानून

pramanu12345 by pramanu12345
January 8, 2022
in Editorial
1
Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021)

बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक– 2021 (Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021) –

हाल ही में यूनियन कैबिनेट में लड़कियों के विवाह की आयु 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का फैसला लिया है. तो चलिए इसके बारे में एक संक्षिप्त चर्चा करते हैं कि आखिर इस बात का मतलब क्या है. पीएम मोदी 2020 में लाल किले से लड़कियों की विवाह आयु बढ़ाने का घोषणा किया. आप सोच रहे होंगे कि शादी का और शादी की उम्र तय करने का आपस में क्या रिलेशन है. तब जाने कि जब लड़कियों की कम उम्र में शादी हो जाती है तो उनके मां बनने की संभावना सबसे अधिक होती है जैसा कि कम उम्र होने के कारण लड़कियों का शारीरिक विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है और उनके द्वारा उत्पन्न संतान कुपोषण से ग्रसित हो जाती है कुपोषण के कारण शिशु मृत्यु दर भी अधिक होती है और कमजोर शरीर होने के कारण माता भी एनीमिया से ग्रसित हो जाती है तथा प्रसव पीड़ा के समय माता की मृत्यु भी हो जाती है जिसे मातृत्व मृत्यु दर कहते हैं तो मृत्यु दरों को कम करने के लिए सरकार समय-समय पर लड़कियों की बढ़ाने का फैसला करती है.

भारत में बाल विवाह अधिनियम का इतिहास (history of child marriage act in india) -:

भारत में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए 1929 में सबसे पहले एक एक्ट लाया गया जिसे ‘शारदा एक्ट 1929 ‘कहा जाता है. इस एक्ट के अनुसार लड़कियों के विवाह के लिए उम्र 15 वर्ष तथा लड़कों की उम्र 18 वर्ष रखी गई थी यानी कि लड़की और लड़कों की शादी की उम्र में 15 और 18 वर्ष का डिफरेंस सबसे पहले इसे एक्ट के अनुसार लाया गया था . बाद में इस शारदा एक्ट का नाम परिवर्तित कर ‘Child Marriage Restraint Act 1929‘ (CMRA) कर दिया गया. 1978 में शारदा एक्ट में पुनः संशोधन कर लड़कियों की विवाह उम्र 18 वर्ष तथा लड़कों की विवाह की उम्र 21 वर्ष कर दी गई तथा इसी वर्ष CMRA को rename किया गया तथा इसे Prohibition of Child Marriage Act 2006 (PCMA) कर दिया गया. अभी तक 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से शादी करने पर PCMA के अनुसार सजा का प्रावधान है .

आप कम उम्र में शादी करें या ज्यादा उम्र में शादी करें सरकार को कैसे पता चलेगा तो जानिए आपकी शादी की वैधानिकता जो है वह मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑफिस से होती है जब तक आप मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं बनवा लेते आपकी शादी का सर्टिफिकेट कंप्लीट नहीं माना जाता तो मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आप मैरिज रजिस्ट्रेट के पास जाते है और वह आपकी आयु का सर्टिफिकेट मांगता है इस सर्टिफिकेट से आपकी शादी की उम्र सरकार को पता चल जाती है आपने कानून सीता की विवाह की आयु से कम उम्र की लड़की से विवाह करते हैं तो हिंदू मैरिज 1955 के तहत सजा का प्रावधान है.

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कानूनी मान्यता मुझे शादियों को दी जाती है इसमें महिला की उम्र 18 वर्ष तथा पुरुष की उम्र 21 वर्ष होती है अन्यथा आपकी शादी की वैधानिक नहीं मानी जाती आप सोच रहे हैं कि शादी का क्या जो पूरी विधि विधान से अग्नि को साक्षी मानकर हुई है तो जाने उस शादी को चाइल्ड मैरिज कहां जाएगा भारत में चाइल्ड मैरिज प्रतिबंधित है ऐसी स्थिति में आपको उपयुक्त सजा का प्रावधान है. अब आप यह सोच रहे होंगे क्या भारत में जितनी भी शादियां है क्या वह हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार की होती हैं, तो नहीं, मुस्लिमों में शादी की उम्र लड़की के युवा अवस्था होने पर उपयुक्त मानी जाती है.बात करते हैं हिंदू मैरिज एक्ट की

हिंदू मैरिज एक्ट 1955

आपकी शादी कानूनी रूप से वैध है तबीयत रूप होता है जब आपके पास मैरिज सर्टिफिकेट होता है और मैरिज सर्टिफिकेट देने का प्रावधान हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अनुसार दिया जाता है जिसमें लड़कियों के विवाह की उम्र 18 वर्ष तथा लड़कों की विवाह की उम्र 21 वर्ष होती है.
भारत में कुछ ऐसी भी शादियां है जो इंटर कास्ट होती है इसका मतलब कि लड़का और लड़की दोनों का धर्म अलग अलग होता है इन शादियों को वैधानिक मान्यता ‘The speacial marriage act 1954’ क्या अनुसार दिया जाता है इसके अनुसार भी लड़कियों के विवाह की उम्र 18 वर्ष तथा लड़कों के विवाह के उम्र 21 वर्ष ही है.

अब तक तीन तीन जगहों पर जहां लड़कियों के विवाह की उम्र 18 वर्ष लड़कों की उम्र 21 है

1) Hindu Marriage act 1955

2) The Special act 1954
(3) Prohibtion of Child Marriage Act 2006

यदि सरकार द्वारा नए फैसले के अनुसार यदि लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष कर दी जाती है तो इन तीनों कानूनों में संशोधन की आवश्यकता होगी क्योंकि इन तीनों कानूनों में लड़कियों की विवाह की उम्र को 18 वर्ष रखा गया है.

सरकार द्वारा लड़कियों की उम्र 21 वर्ष करने के फैसले का मुख्य कारण

जून 2020 में सरकार द्वारा एक जया जेटली समिति बनाई गई जिसकी अध्यक्षता जया जेटली ने की तथा बीके पाल जो नीति आयोग के सदस्य हैं तथा विभिन्न विभागों के सचिवों के साथ मिलकर उन्होंने एक सर्वे करने को कहा पता यह पता लगाने की कोशिश की मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, कुपोषण कम उम्र में लड़कियों का विवाह इन सब में क्या संबंध है तो सर्वे करने पर यह पाया गया कि आजकल के युवा जेंडर इक्वलिटी जाते हैं यह डाटा 16 यूनिवर्सिटी तथा 15 एनजीओ के कि डाटा कलेक्शन से प्राप्त हुआ
और सरकार का यह भी कहना है कि कोई हमसे पूछे कि लड़कियों की विवाह उम्र 18 वर्ष है हमारे पास इसका एक बचकाना सवाल है की लड़कियां जल्दी वयस्क हो जाती है. सरकार लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष बढ़ाकर Gender equality लाने की कोशिश कर रही है

Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021) – बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021 के हिस्से के रूप में, जो महिलाओं के लिए शादी की उम्र को 21 साल तक बढ़ाने का प्रयास करता है, शब्द “बच्चे” को “एक पुरुष या महिला जो अभी तक 21 वर्ष की आयु तक नहीं पहुंचा है” के रूप में परिभाषित किया गया है। ।”। यह हिंदुओं, ईसाइयों, मुसलमानों और पारसियों के कानूनों के साथ-साथ विशेष विवाह अधिनियम, 1954 का उल्लंघन करता है। Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021)

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