श्रवण कुमार ‘शाश्वत’ की कविता…
Sahitya Manch हथेलियां सिकुड़ती हैं रोटी की खातिर,फफोले निकलते हैं बेटी की खातिर।बढ़ता हूँ आगे फिर मुड़ जाता हूँ,बिखड़ता हूँ ...
Sahitya Manch हथेलियां सिकुड़ती हैं रोटी की खातिर,फफोले निकलते हैं बेटी की खातिर।बढ़ता हूँ आगे फिर मुड़ जाता हूँ,बिखड़ता हूँ ...
Gazal - Sahitya Manch ग़ज़ल_1 हर पल इक पागल की ख़ातिरख़्वाब सजाये कल की ख़ातिरजिस पल में जीनी थीं सदियाँआया ...
Sahitya Manch- gazal ग़ज़ल-1 वहां पर फूल संग खुशबू दिखे हैजहां पर इश्क़ का साधू दिखे है ये पत्थर फूल ...
Sahitya Manch ग़ज़ल-1ज़ख़्म ताज़ा इस बहाने से मिला थाहै पुरानी कील कैलेंडर नया था दरमियाँ ही चुप्पियाँ पसरी पड़ी थीदूरियाँ ...
Sahitya manch ग़ज़ल-1कर ज़रा और इज़ाफ़ा मिरी हैरानी मेंमेरी तस्वीर बना बहते हुए पानी में वो शब-ए-वस्ल चराग़ों को बुझा ...
माँ ममता की मूर्ति है , भक्ति करे निष्काम ।चरणों में उनकी दिखे, जन्नत चारों धाम ।। देवी, जननी औ' ...
Sahitya Manch : गौतम गोरखपुरी की ग़ज़लें ग़ज़ल_1दर्द हमको दे जाती हो किसके लिएजान इतना सताती हो किसके लिएगर कोई ...
Sahitya Manch ---- साहित्य मंच -: जितेंद्र तिवारी की ग़ज़लें ग़ज़ल_1 सब तय है कब आना है कब जाना हैया’नी ...
Sahitya manch साहित्य मंच - धीरज तिवारी के गीत गीत_1 हाय इस निर्मम धरा परदौड़ता दिन रात रे मन ! ...
साहित्य मंच - सावन शुक्ला की ग़ज़लें ग़ज़ल_1 तमाम मज़हबी ज़हमत तमाम , जय श्री राम ।।मैं देखने लगा कण ...