The प्रमाण

  • About
  • Advertise
  • Careers
  • Contact
Menu
  • About
  • Advertise
  • Careers
  • Contact
Facebook Twitter Youtube
  • Home
  • English
  • Current News
  • Bollywood
  • Sport
  • Science
  • हिंदी साहित्य
    • साहित्य मंच
  • UPSC & SSC Special

EXPLORE

16
  • Home
  • English
  • Current News
  • Bollywood
  • Sport
  • Science
  • हिंदी साहित्य
    • साहित्य मंच
  • UPSC & SSC Special
Menu
  • Home
  • English
  • Current News
  • Bollywood
  • Sport
  • Science
  • हिंदी साहित्य
    • साहित्य मंच
  • UPSC & SSC Special
  TRENDING
Indoor Plant Care for Beginners – A Guide to Greening Your Space 1 year ago
Navigating the Share Market: A Beginner’s Guide to Investing and Profiting 1 year ago
नन्द वंश का इतिहास उपलब्धिया जाति एवं पतन 2 years ago
Women issues article in current India’s context 2 years ago
Happy new Year 2023 Wishes, Quotes, Images for Friends 2 years ago
Next
Prev

कृषि(Agriculture Sector) से भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तक का बदलता स्वरुप -संछिप्त इतिहास The praman

Team Praman by Team Praman
August 25, 2021
in education, Student, आपका मंच
1

कृषि(Agriculture Sector) से भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तक का बदलता स्वरुप -संछिप्त इतिहास The praman

आपका मंच लेख -३
     किरन यादव 
   (प्रतियोगी छात्रा )
                

भारतीय अर्थव्यवस्था….. जैसा कि हम सब जानते हैं सदियों से हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है। हम बात करते हैं  17 व 18 वीं शताब्दी कि जिस समय भारत की 90 प्रतिशत कृषि कार्य में संलग्न थी। इसके साथ-साथ लोग खाली वक्त में लघु सूक्ष्म एवं हस्तकला जैसे कार्यों में भी रुचि लेते थे|

जिससे हमारा भारत कृषि संपन्न होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भी था। हमारे यहां से कुछ विशेष वस्तुएं जैसे – रेशम कपड़े, मसाला, सूती कपड़े, संगमरमर के सामान, लकड़ी पर नक्काशी, सोने चांदी आभूषणों तथा पत्थरों पर नक्काशी इत्यादि विश्व भर में सुप्रसिद्ध थी तथा यहां से  इन सभी वस्तुओं का विश्व भर में निर्यात किया जाता था। इस वजह से  हमारे देश को सोने की चिड़िया के रूप में जाना जाता था। वक्त धीरे-धीरे बीतता गया हमारे देश पर अंग्रेजों की हुकूमत हुई और इसके बाद से 19 वीं -20वीं शताब्दी में हमारे भारत देश की कृषि कार्य में संलग्न लोगों की संख्या 90% से घटकर 85% हो गई। इसके दो प्रमुख कारण रहे हैं – पहला अंग्रेजों द्वारा लागू भू राजस्व की प्रणाली तथा दूसरा अंग्रेजों द्वारा जबरदस्ती नगदी फसल की बुवाई ।

यह भू राजस्व प्रणाली को 3 तरीके से लागू किया गया।   (1) अस्थाई बंदोबस्त (Permanent Settlement Act) ,  (2) महलवारी व्यवस्था, ( Mahalwari system)  (3) रैयतवाड़ी व्यवस्था। ( Ryotwari system)  आइए हम इन सब के बारे में थोड़ा थोड़ा जाने की कोशिश करते हैं जैसा कि हम बात करते हैं -  अस्थाई बंदोबस्त भू राजस्व प्रणाली की -  यह एक ऐसी भू राजस्व प्रणाली थी जिसमें किसानों से भू-राजस्व की वसूली जमीदार करते थे। यह प्रणाली 1793 में सर्वप्रथम लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा स्टार्ट की गई। जिसे भारत के बिहार,उड़ीसा, बनारस, कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में लागू किया गया। इस प्रणाली के अंतर्गत जमीदार भू राजस्व का 1/11 भाग अपने पास रखते थे तथा 10/11 अंग्रेजी कोष में जमा करते थे ।    महालवाड़ी व्यवस्था ( Mahalwari system) जिसमें 'महाल' का अर्थ -ग्राम समुदाय से है । यह व्यवस्था 1833 ईस्वी में लॉर्ड मैकेंजी द्वारा स्टार्ट हुई जिसे भारत के यूपी,मध्य प्रदेश,  पंजाब वाले क्षेत्र में लागू किया गया सर्वप्रथम इस प्रणाली के अंतर्गत उत्पादन का 80% वसूला जाता था लेकिन धीरे-धीरे इसे कम कर दिया गया। लॉर्ड बैटिंग के समय इसे 66 प्रतिशत तथा डलहौजी के समय 50% कर दिया गया।    रैयतवाड़ी व्यवस्था- ( Ryotwari system) यहां रैयत का किसान से स्टोन वाले को 1792 में मद्रास में थॉमस मुनरो तथा 1735 ईस्वी मुंबई के विनगेट द्वारा लगाया गया । इस प्रणाली के अंतर्गत सर्वप्रथम उत्पादन का 30 से 33% वसूला गया लेकिन फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 50% तथा इससे अधिक कर दिया गया। कहा जाता है कि यह व्यवस्था सबसे पहले लागू हुई थी । इस तरह भारतीय कृषि को तीनों प्रणालियों ने बहुत प्रभावित किया तो इसके साथ ही साथ 'नकदी फसल प्रणाली' की मुख्य भूमिका रही है|   आइए हम जानते हैं क्या है -  नकदी फसल प्रणाली-(cash crop system) नकदी फसल प्रणाली के अंतर्गत ब्रिटिश भारतीयों से अपने अपने भू-भाग पर अधिकतम नकदी फसल उगाने को कहते थे । नकदी फसल का तात्पर्य यंहा  - गन्ना,अफीम,कॉफी,चाय, सूरा, कपास इत्यादि जिसे हम  खुद के लिए ज्यादा लाभ नहीं प्राप्त कर सकते जब तक इस फसल को बेचा ना जाए। अंग्रेज इस नकदी फसलों को अपने कच्चे माल की आपूर्ति के लिए भारतीयों से कम दाम में खरीदते तथा इसे अपने देश में तैयार कर वस्तुओं को ऊंचे दाम पर भारतीयों को बेच देते थे । जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत ज्यादा प्रभावित हुई और धीरे- धीरे लोग  से दूर होने लगे अंग्रेजों की नीतियों की वजह से उस समय भारतीय हस्तकला उद्योग पूरी तरह से बंद हो गया था|   निम्न स्तरीय आर्थिक विकास - अंग्रेजों के समय हमारे भारत की अर्थव्यवस्था एक औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था थी।   औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था (Colonial economy) से तात्पर्य -  किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने से है। भारत में औपनिवेशिकअर्थव्यवस्था 1757AD में प्लासी की लड़ाई के साथ शुरू हुई, जो स्वतंत्रता तक विभिन्न चरणों में जारी रही।हमारी अर्थव्यवस्था अंग्रेजी सरकार के हाथों में थी परंतु  अंग्रेजों ने भारतीय संसाधनों का उपयोग किया पर उनके पुनर्निर्माण तथा विकास के बारे में कभी नहीं सोचा ।   पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था की ओर किसी ने सबका ध्यान खींचा तो वह थे दादा भाई नरौजी सर्वप्रथम पारसी दादाभाई नौरोजी अपनी पुस्तक  "Poverty And Un-British Rule In India" लिखी। जिसमें उन्होंने 1867- 68 बताया कि भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय Rs20 प्रति व्यक्ति थी । इसके बाद लॉर्ड कर्जन 1901 में प्रति व्यक्ति आय की गणना कर Rs30 प्रति व्यक्ति बताया तथा डॉक्टर V. K R V Rao मैं 1931-32 मैं Rs62 प्रति व्यक्ति बताया । 1944- 46 में  प्रति व्यक्ति आय Rs204 प्रति व्यक्ति थी

 यह भू राजस्व प्रणाली को 3 तरीके से लागू किया गया।

 (1) अस्थाई बंदोबस्त (Permanent Settlement Act) ,

(2) महलवारी व्यवस्था, ( Mahalwari system)

(3) रैयतवाड़ी व्यवस्था। ( Ryotwari system)

आइए हम इन सब के बारे में थोड़ा थोड़ा जाने की कोशिश करते हैं जैसा कि हम बात करते हैं –

अस्थाई बंदोबस्त भू राजस्व प्रणाली की – 

यह एक ऐसी भू राजस्व प्रणाली थी जिसमें किसानों से भू-राजस्व की वसूली जमीदार करते थे। यह प्रणाली 1793 में सर्वप्रथम लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा स्टार्ट की गई। जिसे भारत के बिहार,उड़ीसा, बनारस, कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में लागू किया गया। इस प्रणाली के अंतर्गत जमीदार भू राजस्व का 1/11 भाग अपने पास रखते थे तथा 10/11 अंग्रेजी कोष में जमा करते थे । 

 महालवाड़ी व्यवस्था ( Mahalwari system)

जिसमें ‘महाल’ का अर्थ -ग्राम समुदाय से है । यह व्यवस्था 1833 ईस्वी में लॉर्ड मैकेंजी द्वारा स्टार्ट हुई जिसे भारत के यूपी,मध्य प्रदेश,  पंजाब वाले क्षेत्र में लागू किया गया सर्वप्रथम इस प्रणाली के अंतर्गत उत्पादन का 80% वसूला जाता था लेकिन धीरे-धीरे इसे कम कर दिया गया। लॉर्ड बैटिंग के समय इसे 66 प्रतिशत तथा डलहौजी के समय 50% कर दिया गया।

  रैयतवाड़ी व्यवस्था- ( Ryotwari system)

यहां रैयत का किसान से स्टोन वाले को 1792 में मद्रास में थॉमस मुनरो तथा 1735 ईस्वी मुंबई के विनगेट द्वारा लगाया गया । इस प्रणाली के अंतर्गत सर्वप्रथम उत्पादन का 30 से 33% वसूला गया लेकिन फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 50% तथा इससे अधिक कर दिया गया। कहा जाता है कि यह व्यवस्था सबसे पहले लागू हुई थी । इस तरह भारतीय कृषि को तीनों प्रणालियों ने बहुत प्रभावित किया तो इसके साथ ही साथ ‘नकदी फसल प्रणाली‘ की मुख्य भूमिका रही है|

 आइए हम जानते हैं क्या है –

नकदी फसल प्रणाली-(cash crop system)

नकदी फसल प्रणाली के अंतर्गत ब्रिटिश भारतीयों से अपने अपने भू-भाग पर अधिकतम नकदी फसल उगाने को कहते थे । नकदी फसल का तात्पर्य यंहा  – गन्ना,अफीम,कॉफी,चाय, सूरा, कपास इत्यादि जिसे हम  खुद के लिए ज्यादा लाभ नहीं प्राप्त कर सकते जब तक इस फसल को बेचा ना जाए। अंग्रेज इस नकदी फसलों को अपने कच्चे माल की आपूर्ति के लिए भारतीयों से कम दाम में खरीदते तथा इसे अपने देश में तैयार कर वस्तुओं को ऊंचे दाम पर भारतीयों को बेच देते थे । जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत ज्यादा प्रभावित हुई और धीरे- धीरे लोग  से दूर होने लगे अंग्रेजों की नीतियों की वजह से उस समय भारतीय हस्तकला उद्योग पूरी तरह से बंद हो गया था|

 निम्न स्तरीय आर्थिक विकास – अंग्रेजों के समय हमारे भारत की अर्थव्यवस्था एक औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था थी। 

औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था (Colonial economy) से तात्पर्य – 

किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने से है। भारत में औपनिवेशिकअर्थव्यवस्था 1757AD में प्लासी की लड़ाई के साथ शुरू हुई, जो स्वतंत्रता तक विभिन्न चरणों में जारी रही।हमारी अर्थव्यवस्था अंग्रेजी सरकार के हाथों में थी परंतु  अंग्रेजों ने भारतीय संसाधनों का उपयोग किया पर उनके पुनर्निर्माण तथा विकास के बारे में कभी नहीं सोचा । 

पहली बार भारतीय अर्थव्यवस्था की ओर किसी ने सबका ध्यान खींचा तो वह थे दादा भाई नरौजी सर्वप्रथम पारसी दादाभाई नौरोजी अपनी पुस्तक  “Poverty And Un-British Rule In India” लिखी। जिसमें उन्होंने 1867- 68 बताया कि भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय Rs20 प्रति व्यक्ति थी । इसके बाद लॉर्ड कर्जन 1901 में प्रति व्यक्ति आय की गणना कर Rs30 प्रति व्यक्ति बताया तथा डॉक्टर V. K R V Rao मैं 1931-32 मैं Rs62 प्रति व्यक्ति बताया । 1944- 46 में  प्रति व्यक्ति आय Rs204 प्रति व्यक्ति थी

                                                                                                            आगे का हिस्सा पढ़े अगले भाग में —

Previous Post

Belt and Road Initiative : क्या है One Belt, One Road और 6 Corridor ? चीन की मंशा ?

Next Post

Kabul Airport – Baron hotel और Abbey gate सीरियल बम धमाको मे 60 से ज्यादा लोगो की मौत सैकड़ो से ज्यादा घायल ISIS ने ली जिम्मेदारी

Related Posts

POCSO act in Hindi
Editorial

पोक्सो कानून क्या है ? दंड धाराएँ और सजा सम्पूर्ण जानकारी

December 15, 2022
climate change
upsc

जलवायु परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इससे निपटने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा कीजिए

July 13, 2023
Festival

Happy Father’s Day: पिता को समर्पित दोहे…

June 19, 2022
National Highway
upsc

भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways in india)

May 30, 2022
sahitya manch - gazal
साहित्य मंच

श्रवण कुमार ‘शाश्वत’ की कविता…

May 16, 2022
Gazal Sahitya manch
साहित्य मंच

रोहित गुस्ताख़ की ग़ज़लें…

April 28, 2022
Load More
Next Post

Kabul Airport - Baron hotel और Abbey gate सीरियल बम धमाको मे 60 से ज्यादा लोगो की मौत सैकड़ो से ज्यादा घायल ISIS ने ली जिम्मेदारी

Comments 1

  1. Unknown says:
    4 years ago

    Achhi post banai ho

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended

sahitya manch - gazal

श्रवण कुमार ‘शाश्वत’ की कविता…

3 years ago
साहित्य मंच – हिंदी दोहे – दीपक सिंह- The praman

साहित्य मंच – हिंदी दोहे – दीपक सिंह- The praman

4 years ago

Popular News

    Connect with us

    Welcome to the Praman, we are a group of young people who want to promote clean and independent journalism. Our main objective is to foster an attitude of independence and clean journalism among students, enabling them to build a solid future and to fulfill their responsibility to society and country. 

    Categories

    Menu
    • About
    • Advertise
    • Careers
    • Contact

    Social Media Link

    Facebook Twitter Youtube Instagram

    © All rights reserved by The Praman

    Made with by The Praman