प्रस्तुत रचना लेखक की प्रसिद्ध रचना ”रात के जूड़े में पलाश के फूल “ का एक छोटा सा अंश है। रचना के सवांदो और लेखक के बारीक अवलोकन के लिए आपको इनकी इस रचना को जरूर पढ़ना चाहिए
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मोहब्बत करने वाले
जरा भी कम न होंगे,
तेरी फुर्सत में आकर
रहने वाले
हम न होंगे ,
इबादत में भी पड़ेंगी,
ख़ालिश ख़ासा
तुझ पर इबारत
लिखने वाले
हम न होंगे,
चाँद की चाप
जब,
खिचेंगी विसाल-ए-यार की रात,
उस रात के परचम को थामे ,
हम न होंगे,
घड़ी भर को ही ग़ुजरोगे,
कभी पासबाँ से गर
तुझे देखकर मर मिटने वाले,
हम न होंगे,
रफ़्ता-रफ़्ता ही सही,
मिट जाएगी
सीने में इबारत लिखी हुई,
उसे दोहरा कर ,कर गुजरने वाले
हम न होंगे…”मिज़ाज”
हर्ष मणि सिंह ”मिज़ाज”
सहायक आचार्य (अर्थशास्त्र)
ईश्वर शरण कॉलेज प्रयागराज
(इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
Sahitya manch
परिचय
हर्ष मणि सिंह ‘मिज़ाज’ वर्तमान में सहायक आचार्य (अर्थशास्त्र) के पद पर ईश्वर शरण कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज में कार्यरत हैं वह इससे पूर्व वित्त विभाग उत्तर प्रदेश सरकार में सिविल सेवक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
संदीप राज़ आनंद
साहित्य संपादक
The Praman
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